Categories
कहानी

हतास जिनगानी : नान्हे कहिनी

आज संझौती बेरा गांव के सडक तीर के एक ठन दुकान कोती घूमे बर गयेंव।नवा-नवा दुकान खुले रहय त संझौती बेरा म बहुत अकन मनखे के रेम लगय।काबर कि उंहा डिस्पोजल अउ चखना के बेवस्था घलो रहय। दुकानवाला ह कंगलहा दरुहा बर फोकट के हंडिया वाला पानी अउ पूरताहा बर फिरिज के पानी रखे रहय।
में हा पेपर ल बिहनिया नी पढे रेहेंव तेकरे सेती पेपर पढे बर ओकर कना बइठ गेंव। ओतका बेरा बने अंजोर रीहिसे।फेर जइसे सुरूजदेव बूडिस।मनखे सकलाय लगिस।फेर मोला देखके ओमन अचरित म पडगे रहय।ओमन दुकानवाला के रोज के गिराहिक। ओकर चखना अउ अरबन-चरबन के लेवइय्या!अउ में हा फोकट के पेपर पढत ओकर पाटा ल पोगरा के बइठे राहंव।
पेपर पढत में हा शेखी बघारत दुकानवाला ल बतायेंव कि हमर जिला के तीन ठन दारू दुकान मिलाके सरकार ल एक महिना में करोड रूपया कमा के देहे!! एला एक झन परमानेंट दरुहा सुन परिस त काहत राहय -राज के बिकास म हमर कतका सहयोग हे तेन ल सोचना चाही।हम सरकार के खजाना भरथन। हम काली मंद पीये बर छोडबो।समझ ले परनदिन ले शासन ह आनी बानी के जिनिस बांटना बंद कर दिही !!! हमन कोनो अइसने तइसने मनखे थोडे हरन जी!
ओकर गोठ ल सुनके सोचेंव वा रे! मनखे अपन ताकत ल जानथस फेर पीये बर नी छोंड सकस ।
थोरिक देरी म एक झन लकठा गांव के मनखे ह मोला देखके रबक गे अउ मोला किथे-कोनो ल भेजे हस का भइया? मोरो बर एक ठा लान दीही फोन करना।एदे पइसा काहत एक ठ चिरहा पचासी ल मोर हांथ म बरपेली धरा दिस।
बड मुस्कुल म ओहा पतयाइस कि में हा दारू पिये बर नी बइठे हंव।ताहने ओहा फेर सुरू होगे-देख भई!! रिस झन करबे!! पिये खाय म हो…जथे….।



लटपट ओहा गिस ताहने एक झन लइकुसहा टुरा ह हालत डोलत मोर बाजू म आके बइठगे।अउ मोला देख के मोर गोड ल धर लिस अउ वहू सुरु होगे-या कका!!! तें हरस ग…. में टोला नी डेखट रेंहेंव गा!छब बने-बने कका!एको डिन बइठे बर घर कोती नी आटेस गा…..। सरी डुनिया ल घुमट हस निपोर…..। अतकाके गोठियावत ले ओकर सरी लार ह मोर गोड म चुचवा गे रहय।में हा दुकान वाला कना पानी मांगेव अउ गोड ल धोके आय के उदीम करत रहेंव त ऐ टुरा केहे लागिस-तें मोला मंदहा समझथस कका! हव गो!! में पीये हंव!फेर काबर पिये हंव तहू ल सुन!!में एमे पास हंव कका!अपन ददा के एकलौता बेटा!! मोर ददा ह हमर खेत ल मोर नौकरी लगाय बर बेंच दिस।एक झन दलाल ह नौकरी लगा देहूं किहिस अउ हमन ल ठगके भगागे। सरकार कना हमर बर नौकरी नीहे। दाई ददा ल देखके मोर आतमा ह अबड कलपथे कका!तेकरे सेती में ह पीथंव!!
सिरतोन म बड जनी दुख समाय रिहिसे अपन माटी-महतारी ल छोडे के ओ बपुरा लइका के मन मा।उही ल गुनत-गुनत आवत रेंहेव त भकला ममा ह अपन घर म रिही-छिही मताय रहय। उंकर घर मं जाके पूछेंव त ओमन बताइन कि जब ले पानी नी गिरत हे।ओकर अइसन गत होगे हवय।रोज दिन दारू पीके घर म हहाकार मचाथे।में हा ओला समझावत केहेंव-कस ममा !! तें ह तो गांव के बुजरूक सियान हरस गा!तें अइसन काबर करत हस?
मोर गोठ ल सुनके ओहा किहिस-परलोखिया भांचा। मोर परान एसो नी बांचे काते ग!! परिहार घलो दुकाल परे रिहिसे।बड मुसकुल म पउर ओकर लागा ल छूटे हंव।फेर एसो के दुकाल मोर जीव ल छोडाही ग!! साल पुट करजा बाढत हे। मोर परान ह नी बांचे या तो तुमन मोला दारू पियन दव नीते मोर जीव ले लव!! अतका काहत ओहा ढलंग गे।
घर आयेंव त जांगरटोर कमइया ह आज दारू पीये बर काबर मजबूर होवत हे इही बात ल गुनत गुनत नींद परगे।बिहान दिन पेपर म पढेंव सरकार ह अब दारू दुकान खुले के समे ल बढा देहे।

रीझे यादव
टेंगनाबासा (छुरा) 493996
[responsivevoice_button voice=”Hindi Female” buttontext=”ये रचना ला सुनव”]