चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो। अंधियारी ल दूर भगाके, जीवन में अंजोर लाबो।। कतको भटकत अंधियारी मे, वोला रसता देखाबो। भूखन पियासे हाबे वोला, रोटी हम खवाबो।। मत राहे कोनो अढ़हा, सबला हम पढ़ाबों। चल संगी देवारी में, जुर मिल दीया जलाबो।। छोड़ो रंग बिरंगी झालर, माटी के दीया जलाबों। भूख मरे […]
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हरियर हरियर खेतहार हे , धान ह लहलहावत हे । सुघ्घर बाली निकले हाबे । सब झन माथ नवावत हे । सोना जइसे सुघ्घर बाली , हवा में लहरावत हे । अपन मेहनत देखके सबझन , मने मन मुसकावत हे । मेहनत के फल मीठा होथे , ‘माटी’ गाना गावत हे । धान ल अब […]
बेटी हावय मोर, जगत मा अब्बड़ प्यारी। करथे बूता काम, सबो के हवय दुलारी। कहिथे मोला रोज, पुलिस बन सेवा करहूँ। मिटही अत्याचार, देश बर मँय हा लड़हूँ। अबला झन तैं जान, भुजा मा ताकत हावय, बैरी कोनों आज, भाग के नइ तो जावय। बेटा येला मान, कभू अब नइहे पाछू। करथे रौशन नाम, सबो […]
अक्षर दीया जलाबोन
अक्षर दीया जलाबोन संगी, निरक्षरता के अंधियार मिटाबोन । ज्ञान के मशाल ल धरके , गाँव गली तक जाबोन । सबझन पढ़बोन अउ पढ़ाबोन , सब कोई होही साक्षर । नइ राहे तब ये जग मा , भंइस बराबर काला अक्षर । नोनी पढ़ही बाबू पढही , पढ़ही बबलू के दाई । डोकरा पढ़ही डोकरी […]
दाई के पीरा
बड़े बिहनिया सुत उठ के, लीपय अँगना दाई । खोर गली ला बाहरत हावय , ओकर हे करलाई । आये हावय बहू दू झन , काम बूता नइ करय । चाहा ला बनावय नहीं, पानी तक नइ भरय । आठ बजे तक सुत के उठथे, मेकअप रहिथे भारी । काम बूता ला करय नहीं, करथे […]
राखी के तिहार
सावन के पावन महीना में, आइस राखी तिहार । राखी के बंधन में हावय , भाई बहन के प्यार । सजे हावय दुकान में, आनी बानी के राखी । कोन ला लेवँव कोन ला छोंड़व , नाचत हावय आँखी । छांट छांट के बहिनी मन , राखी ला लेवत हे । किसम किसम के मिठाई […]
शिव भोला ल मनाबोन
चल संगी भोला ल मनाबोन , बेलपान अऊ नरियर भेला ल चढाबोन । चल संगी भोला ल मनाबोन । नदियाँ नहाबोन अऊ दीया जलाबोन । धोवा धोवा चाँउर शिव भोला मा चढाबोन । हावय अब्बड़ भीड़ भाड़, हमू लाइन लगाबोन । चल संगी भोला ल मनाबोन …………….. भोले बाबा के जी , महिमा हे भारी […]
सावन में शिव ला मनाबोन
सावन महिना में शिव , सावन अऊ सोमवार के विशेष महत्व हे। एकरे पाय छोटे से लेकर बडे़ तक सावन सोमवारी ल मनाथे। सावन महिना के सोमवार के पूजा अऊ उपवास करे से भगवान शिव ह जल्दी प्रसन्न होथे। ये व्रत ह बहुत ही शुभदायी अऊ फलदायी होथे। सावन मास में शिव के पूजा करे […]
बरसा के दिन
टरर टरर मेचका गाके, बादर ल बलावत हे। घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे। तरबर तरबर चांटी रेंगत, बीला ल बनावत हे। आनी बानी के कीरा मन , अब्बड़ उड़ियावत हे। बरत हाबे दीया बाती, फांफा मन झपावत हे । घटा घनघोर छावत, बरसा के दिन आवत हे। हावा गररा चलत हाबे, धुररा […]
नशा : कविता
नशा – नाश के जड़ होथे एला तेहा जान। पइसा – इज्जत दूनो होथे जगा – जगा अपमान।। जेहा पीथे रोज दारू दरूहा ओहा कहाथे। लोग लइका के चेत नइ करे अब्बड़ गारी खाथे।। थारी, लोटा, गहना, सुता सबो बेचा जाथे। भूखन मरथे सबो परानी तब होश में आथे।। छोड़ दे अब तो दारू – […]