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कहानी

परेम : कहानी

साकुर चैनल ल एति-तेति पेले असन करके बिकास पीठ म ओरमाये अपन बेग ल नहकाइस। बैंक भीतर पांव रखते साठ, अहा! कतका सुघ्घर गमकत, ममहावत ठंढा! जइसे आगि म जरे ल घीव म नहवा दिस। भाटा फूल रंग के पुट्टी अउ गाजरी रंग के पट्टी नयनसुख देवत रहिस। बिकास दूनों बाजू, एरी-डेरी, नजर दौडाइस।खास पहिचान […]

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गीत

तेजनाथ के रचना

बड़ उथल-पुथल हे मन म, आखिर का पायेंव जीवन म? जंगल गेयेंव घर,परिवार छोड़ के, घेर लिस ‘तियागे के अहम’ उंहा भी बन म। देह के बंधन ले मुक्ति बर देह मिले, कहिथें, अउ पूरा जिनगीए सिरागे देह के जतन म। अमका होही, ढमका होही, कहिथें, फलाने दिन,दिसा,फलाने लगन… म। बड़ दिक्कत हे, दुख हे […]

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कविता

जब ले बिहाव के लगन होगे

संगी, जब ले बिहाव के लगन होगे बदल गे जिंनगी,मन मगन होगे। सात भांवर, सात बचन, सात जनम के बंधन होगे। एक गाड़ी के दू चक्का जस, दू तन एक मन होगे। सांटी के खुनुर- खुनुर, अहा! सरग जस आंगन होगे। भसम होगे छल-कपट सब, बंधना पबरित अगन होगे। नाहक गे तन्हाई के पतझड़, जिंनगी […]

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गीत

मैं जनम के बासी खावत हौं

नवजवान,तैं चल, मैं पीछु-पीछु आवत हौं, कइसे चलना हे, बतावत हौं। ताते-तात के झन करबे जिद कभू, मैं जनम के बासी खावत हौं। तोर खांध म बइठार ले मोर अनुभव ल बस , मैं अतके चाहत हौं। दूर नहीं मैं तोर से , मोर संगवारी, पुस्तक म, घटना म, समे म,सुरतावत हौं। पानी के धार […]

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कविता

कीरा – मकोरा

कीरा – मकोरा, पसु-पक्छी, पेड़- पउधा … देखथन नानम जोनि ल, अउ सोंचथन, अबिरथा हे उंखरो जीवन, खाये के सुख न जिये के, सोंचे – समझे के सक्ति न भगवान के भक्ति। का काम के हे ग अइसनों जिनगी? बेकार हे, बोझ हे। अउ उमन देखत होहीं जब हम ल, सोंचत होहीं- कीरा – मकोरा […]

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कविता गज़ल छंद दोहा मत्तगयंद सवैय्या

छत्तीसगढ़ी गीत-ग़ज़ल-छंद-कविता

होगे होरी तिहार होगे – होगे होरी के, तिहार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। करु बोली मा,अउ केरवस रचगे। होरी के रंग हा, टोंटा मा फँसगे। दू गारी के जघा, देय अब चार गा। कखरो बदलिस न,आदत ब्यवहार गा। टेंड़गा रेंगइया हा,अउ टेंड़गा होगे। ददा – दाई ,नँगते दुख भोगे। अभो देखते वो , […]

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कहानी

इस्कूल : छत्‍तीसगढ़ी कहानी

राज-छत्तीसगढ़, जिला-कवरधा, गांव- माताटोला, निवासी- गियारा बारा अक सौ, इस्कूल- सरकारी पराइमरी, कच्छा- पांचमी तक,  गुरुजी-तीन, कुरिया- चार। बरामदा -पहिली दूसरी के, तीसरी चौथी बर एक कुरिया, एक कुरिया- पांचमी के,अउ एक गुरुजीमन बर। कच्छा- पांचमी, लइकन- तीस, बत्तीस। गुरुजी- गनित बिसय के, होमवर्क जाँचत रहिस। “सब झन अपन होमवर्क करके आये हव?” सब झन […]

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गज़ल

तेजनाथ के गजल

छोटे छोटे खड़ म तो , दुनिया बट जाही , अउ छोटे छोटे करम ले संगी , दुनिया सज जाही । “अकेल्ला मैं का कर सकथौ” झन सोंच, तोर मुस्कुराये ले सबके खुसी बढ़ जाही । दुख दरिदरी , परसानी पहाड़ जस हे भले, फेर किरचा किरचा म संगी ,पहाड़ टर जाही | तैं नहीं […]

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गोठ बात

धंधा

सिक्छा आज दुकानदारी होगे हे, दुकानदारी का? ठेकादारी, ठेकादारी के नीलामी। ‘मोला सहे नहिं जात रहिस अनदेखी भूरि बरत रहि।’ हमर किसान के कोनो नइहे भाई। पइसा वाले के आजो पइसा हे। उंखरे सासन हे, रकस-रकस कमइया किसान, मजदूर ल आजो जानवर, गंवार समझे जाथे। साल भर म पूजा करे जाथे गाय गरूवा के देवारी […]

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कहानी

कहिनी : साहस एकता अउ संकल्प

कोनो कहिदिस, ‘गदहा’ अउ हम ‘गदहा’ बन जाबो? नहिं न? त फेर का सोचना, डरना। अतका बात याद रखव दुनिया म चाहे कतको बुराई राहय, बुरा होवय, मनखे ल अपन अच्छाई नई छोड़ना चाही। जीत अउ जय एक दिन अच्छाईच्च के होथे। त करना हे माने करना हे। बस, होगे? जगमग-जगमग उजियारा म, जिनगी के […]