नवा साल के नवा बिहनिया राहय अउ सुग्घर घाम के आनंद लेवत “अंजनी” पेपर पढ़त राहय। ओतके बेरा दरवाजा के घंटी ह बाजथे। “अंजनी” पेपर ल कुरसी म रख के दउड़त दरवाजा ल खोलथे।”अंजनी” जी काय हालचाल कइसे हस ? “अंजनी” (सोचत-सोचत)”जी ठीक हँव।” फेर मँय आप मन ल चिनहत नइ हँव ? अइ…..अतका जलदी […]
Category: कहानी
लघुकथा-किसान
एक झन साहब अउ ओकर लइका ह गांव घूमे बर आइन।एक ठ खेत म पसीना ले तरबतर अउ मइलाहा कपडा पहिर के बुता म रमे मनखे ल देखके ओकर लइका पूछथे-ये कोन हरे पापा? ये किसान हरे बेटा!!-वो साहब ह अपन बेटा ल बताइस। ‘ये काम काबर करत हे पापा?’ “ये अन्न उपजाय बर काम […]
लघु कथा – सोज अंगुरी के घींव
ककछा म गुरूजी हा, हाना के बारे म पढ़हावत पढ़हावत बतावत रहय के, सोज अंगुरी ले घींव नी निकलय। जब घींव निकालना रहिथे तब, अंगुरी ला टेड़गा करे बर परथे। एक झिन होसियार कस लइका किथे – गुरूजी ये हाना हा जुन्ना अऊ अपरासांगिक हो चुके हे, अभू घींव हेरे बर अंगुरी ला टेड़गा करे […]
छत्तीसगढ़ महतारी
बड़े बिहनिया उठ जा संगी खेत हमर बुलावत हे, पाके हावय धान के बाली महर महर महकावत हे। टप टप टपके तोर पसीना माथा ले चुचवावत हे, तोर मेहनत ले देखा संगी कई झन जेवन पावत हे। ये धरती ह हमर गिंया सबके महतारी ये कोरा म रखके सब ल पोषय एहि हमर जिंदगानी ये। […]
नान्हे कहिनी- बेटी अउ बहू
एक झन दूधवाला ह अपन गिराहिक कना दूध लेके जाथे त एकझन माइलोगिन ह दूध ल झोंकाथे। पहिली दिन- ‘उपराहा दूध कोन मंगाय हे गा! काबर अतेक दूध देवत हस?’ वो माइलोगिन ह पूछिस। “भऊजी ह देबर केहे हे दाई!” दूध वाला ह बताइस। ‘का करही वोहा अतेक दूध ल!!’ “दाई! भउजी ह बतावत रिहिसे […]
कहानी – देवारी के कुरीति
गाँव म देवारी के लिपई-पोतई चलत रिहिस। सुघ्घर घर-दुवार मन ल रंग-रंग के वारनिश लगात रहिस। जम्मो घर म हाँसी-खुशी के महौल रिहिस। लइका मन किसम-किसम के फटाका ल फोरत रिहिस। एक झन ननकी लइका ह अपन बबा संग म घर के मुहाटी म बइठे रिहिस। ओ लइका ह बड़ जिग्यासु परवित्ति के रहिस। लइका […]
नान्हे कहिनी – सवाल
‘बबा!ये दिया काबर बरत हे?’ ‘अंजोर करे खातिर बरत हे बेटा!!’ बबा ह अपन नाती ल समझावत बताइस। ताहने ओकर नाती ह फेर एक ठ सवाल पूछथे- ‘ये अंजोर काकर बर हरे बबा?’ ‘जेन ह ओकर अंजोर के फयदा उठाही तेकर बर!!’ ‘एमा दिया के का फयदा हे बबा?’ ‘एमा दिया के कोनो फयदा नीहे […]
कहानी : बड़का तिहार
गुरूजी पूछथे – कते तिहार सबले बड़का आय ? समझ के हिसाब से कन्हो देवारी, दसरहा अऊ होली, ईद, क्रिसमस, त कन्हो परकास परब ला बड़का बतइन। गुरूजी पूछथे – येकर अलावा ……? लइका मन नंगत सोंचीन अऊ किथे – पनदरा अगस्त अऊ छब्बीस जनवरी। कालू हा पीछू म कलेचुप बइठे रहय। गुरूजी पूछथे – […]
चुनावी लघुकथा : बुरा न मानो …… तिहार हे
एक – तैं कुकुर दूसर – तैं बिलई एक – तैं रोगहा दूसर – तैं किरहा एक – तैं भगोड़ा दूसर – तैं तड़ीपार एक – तैं फलाना दूसर – तैं ढेकाना ……… गांव के मनखे मन पेपर म रोज पढ़य। अचरज म पर जावय के, अइसन एक दूसर ला काबर गारी बखाना करथे। ओमन […]
समुनदर मनथन म, चऊदह परकार के रतन निकलीस। सबले पहिली, कालकूट जहर निकलीस। ओकर ताप ले, जम्मो थर्राये लगीन। भगवान सिव, अपन कंठ म, ये जहर ला धारन कर लीन। दूसर बेर म, कामधेनु गऊ बाहिर अइस, तेला देवता के रिसी मन लेगीन। तीसर म, उच्चैश्रवा घोड़ा ल, राकछस राज बलि धरके निकलगे। चउथा रतन […]